श्री राधे
“श्रील नारायण भट्ट ज़ू जयति”
“श्री नारायण दास गोस्वामी जयति”
??आज की ब्रज रस धारा ??
दिनांक 08/05/2018
राधाजी की चिंता का निवारण
गौ लोक धाम में जब देवताओ ने भगवान श्री कृष्ण से पृथ्वी के उद्धार के करने को कहा तो भगवान ने उन्हें आश्वासन दिया में अवतार लूँगा.
जब भगवान श्रीकृष्ण इस प्रकार बाते कर रहे थे उसी क्षण ‘अब प्राणनाथ से मेरा वियोग हो जायेगा ‘ यह समझकर राधिका जी व्याकुल हो गई और मूर्छित होकर गिर पड़ी.
श्री राधिका जी ने कहा – आप पृथ्वी का भार उतारने के लिए अवश्य पधारे परन्तु मेरी एक प्रतिज्ञा है प्राणनाथ आपके चले जाने पर एक क्षण भी मै यहाँ जीवन धारण नहीं कर सकूँगी मेरे प्राण इस शरीर से वैसे ही उड़ जायेगे जैसे कपूर के धूलिकण
श्री भगवान ने कहा -तुम विषाद मत करो! मै तुम्हारे साथ चलूँगा.
श्री राधिका जी ने कहा – परन्तु प्रभु !जहाँ वृंदावन नहीं है, यमुना नदी नहीं है, और गोवर्धन पर्वत भी नहीं है, वहाँ मेरे मन को सुख नहीं मिल सकता.
तब राधिका जी के इस प्रकार कहने पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपने धाम से चौरासी कोस भूमि ,गोवर्धन पर्वत और यमुना नदी को भूतल पर भेजा.
तब ब्रह्मा जी ने कहा – भगवन मेरे लिए कौन सा स्थान होगा. और ये सारे देवता किन ग्रहों में रहेगे और किन-किन नामो से प्रसिद्ध होगे ?
भगवान ने कहा – मै स्वयं वासुदेव और देवकी जी के यहाँ प्रकट होऊँगा.मेरे कालस्वरूप ये शेष रोहिणी के गर्भ से जन्म लेगे.
* साक्षात् “लक्ष्मी” राजा भीष्मक के घर पुत्री रूप से उत्पन्न होगी इनका नाम ‘रुक्मणि’ होगा.
* पार्वती – ‘जाम्बवती’ के नाम से प्रकट होगी.
* यज्ञपुरुष की पत्नी “दक्षिणा देवी” – ‘लक्ष्मणा’ नाम धारण करेगी.
* यहाँ जो “विरजा” नाम की नदी है– वही ‘कालिंदी’ नाम से विख्यात होगी.
* भगवंती “लज्जा”- का नाम ‘भद्रा’ होगा.
* समस्त पापों का प्रशमन करने वाली “गंगा”- ‘मित्रविन्दा’ नाम धारण करेगी.
* जो इस समय “कामदेव” है वे ही रुक्मिणी के गर्भ से ‘प्रधुम्न’ रूप में उत्पन्न होगे. प्रधुम्न के घर तुम्हारा (ब्रह्मा) अवतार होगा. उस समय तुम्हे ‘अनिरुद्ध’ कहा जायेगा.
* ये वसु जो “द्रोंण” नाम से प्रसिद्ध है व्रज में ‘नन्द‘ होगे, और स्वयं इनकी प्राणप्रिया “धरा देवी” ‘यशोदा’ नाम धारण करेगी.
* “सुचन्द्र” ‘वृषभानु’ बनेगे और इनकी सहधर्मिणी “कलावती” धराधाम पर ‘कीर्ति‘ के नाम से प्रसिद्ध होगी फिर उन्ही के यहाँ इन राधिका जी का प्राकट्य होगा.
*’सुबल’ और ‘श्रीदामा’ नाम के मेरे सखा ‘नन्द’ और ‘उपनन्द’ के घर जन्म धारण करेगे, इसी प्रकार मेरे और भी सखा जिनके नाम ‘स्तोककृष्ण’ ,’अर्जुन’ और ‘अंशु’ आदि सभी ‘नौ नन्दों’ के यहाँ प्रकट होगे. व्रजमंडल में जो छै वृषभानु है उनके गृह ‘विशाल’ ‘ऋषभ’ ‘तेजस्वी देवप्रस्थ’ और ‘व्ररुथप’ नाम के मेरे सखा अवतीर्ण होगे.
ब्रह्मा जी ने कहा – किसे “नन्द” कहा जाता है? और किसे “उपनन्द” और “वृषभानु” के क्या लक्षण है ?
भगवान ने कहा – जो गौशालाओ में सदा गौओ का पालन करते रहते है और गौ-सेवा ही जिनकी जीविका है उन्हें मैंने “गोपाल” संज्ञा दी है. अब उनके लक्षण सुनो –
नन्द – गोपालो के साथ “नौ लाख गायों के स्वामी को नन्द” कहा जाता है.
उपनन्द – “पांच लाख गौओ का स्वामी उपनन्द” कहा जाता है.
वृषभानु – वृषभानु नाम उसका पडता है जिसके अधिकार में “दस लाख गौए” रहती है.
नन्दराज– ऐसे ही जिसके यहाँ “एक करोड गौओ की रक्षा” होती है वह “नन्दराज” कहलाता है.
वृषभानुवर– “पचास लाख गौओ के अध्यक्ष” की “वृषभानुवर” संज्ञा है.
सुचन्द्र और द्रोण – ये दो ही व्रज में इस प्रकार के सम्पूर्ण लक्षणों से संपन्न गोपराज बनेगे.
“जय जय श्री राधे “
“श्री श्याम सुन्दर गोस्वामी जी ”
सेवाधिकारी श्री राधा रानी मन्दिर बरसाना
श्री जी बरसाना मण्डल ट्रस्ट (रजि०)
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