News

Meri Bhav Badha

 मेरी भाव-बाधा हरोराधा नागरी सोय। जा तन की झाईं पड़ेश्याम हरित दुत होय।

में हरित (हरामुदित) शब्द में श्लेष किया हैवहाँ इस गीत में मन शब्द में श्लेष है। मन का अर्थ हृदय भी होता है व भार का एक मात्रक भी जो लगभग 37.324 किलोग्राम होता है। जहाँ बिहारी ने दो रंगों (राधा का गोरा तथा कृष्ण का काला), को मिला कर एक तीसरा रंग बनाया है, वहाँ इस गीत में तो तीन रंगों (गुजरी का गोरा, यमुना का नीला तथा स्वर्ण-कलश का पीला) को मिलाकर रूप की त्रिवेणी बना दी गई है। यहाँ त्रिवेणी शब्द में भी श्लेष है: रंगों का मिलाप तथा गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम की भाँति रूप का संगम-पर्व।

अरे वह पनघट पे बटमार गुजरिया जादू कर गई रे |
    चित में वह चितवन चुभा और बाँकी भौंह मरोड़
    वह चितई चितवन चुभा और संग में भौंह मरोड़
       इठला के शरमाय के वह मुसकाई मुँह मोड़
       कलेजे बिजली गिर गई रेहिया पे बिजली गिर गई रे || गुजरिया जादू —–
              अरे वह पनघट पे ———————

    जमुना में गागर ड़ुबा और इधरउधर को झाँक
    मेरा मन हर ले गईअरे मेरा मन हर ले गई
       और दे गई नहीं छटाँकलूट पनिहारी कर गई रे || गुजरिया —–
              अरे वह पनघट पे —————–

    गुण गरवीली गोरकी, अरे कुछ गरवीली गूजरी
    और कुछ गागर में भारअरे कुछ गागर में भार
              झीनी कटि लटलट करेअरे पतली कमर लचपच करे
              हे राम लगाना पारभँवर में नैया पड़ गई रे  ||    गुजरिया जादू —–

              अरे वह पनघट पे —————–

    नील वरन यमुना इधरऔर उधर वो गोरी नार
    नीला रंग यमुना इधरऔर उधर वो गोरी नार
              कंचन कलसा शीश परअरे कंचन कलसा शीश पर
             लो बनी त्रिवेणी धाररूप की परवी पड़ गई रे || गुजरिया जादू —–
              अरे वह पनघट पे —————

Share it on

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Shree Ji Barsana Mandal Trust (SJBMT)