षष्ठम नवरात्रि
पंचम नवरात्रि
आप सभी को पंचम नवरात्रि की शुभकामनाएँ
तृतीय एवं चतुर्थ नवरात्रि
आप सभी को तृतीय एवं चतुर्थ नवरात्रि की श्री जी बरसाना मण्डल ट्रस्ट(रजि०) की ओर से बधाई हो
Happy independence Day-2021
हरियाली तीज एवं झूलन महोत्सव
आप सभी को हरियाली तीज एवं झूलन महोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं
Plantation In Braj
आइए बृज को फिर से बनाएँ हरा भरा..
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Sadashiv
सदाशिव सर्व वरदाता
सदाशिव सर्व वरदाता, दिगम्बर हो तो ऐसा हो,
हरे सब दुःख भक्तों के, दयाकर हो तो ऐसा हो।
शिखर कैलाश के ऊपर, कल्पतरुओं की छाया में,
रमे नित संग गिरिजा के, रमणधर हो तो ऐसा हो।
शीश पर गंग की धारा, सुहाए भाल पर लोचन,
कला मस्तक पे चन्दा की, मनोहर हो तो ऐसा हो।
भयंकर जहर जब निकला, क्षीरसागर के मंथन से,
रखा सब कण्ठ में पीकर, कि विषधर हो तो ऐसा हो।
सिरों को काटकर अपने, किया जब होम रावण ने,
दिया सब राज दुनियाँ का, दिलावर हो तो ऐसा हो।
बनाए बीच सागर के, तीन पुर दैत्य सेना ने,
उड़ाए एक ही शर से, त्रिपुरहर हो तो ऐसा हो।
देवगण दैत्य नर सारे, जपें नित नाम शंकर जो,
वो ब्रह्मानन्द दुनियाँ में, उजागर हो तो ऐसा हो॥
Mare Mat Maiya
मारे मत मइया
मारे मत मइया, वचन भरवाय लै
वचन भरवाय लै, सौगन्ध खवाय लै।
गंगा की खवाय लै, चाहे जमुना की खवाय लै
क्षीर सागर में मइया ठाड़ो करवाय लै ॥ मारे मत मइया ——
गइया की खवाय लै, चाहे बछड़ा की खवाय लै
नन्द बाबा के आगे ठाड़ो करवाय लै ॥ मारे मत मइया ——
गोपिन की खवाय लै, चाहे ग्वालन की खवाय लै
दाऊ भइया के आगे कान पकराय लै ॥ मारे मत मइया ——
बंसी की खवाय लै, चाहे कामर की खवाय लै
मेरे अपने सिर पे हाथ धर के कहवाय लै ॥ मारे मत मइया ——
Akeli Van Me
इकली घेरी बन में आय
इकली घेरी बन में आय श्याम तूने कैसी ठानी रे |
श्याम मुझे वृन्दावन जाना
लौट कर बरसाने आना
हाथ जोड़ूँ मानो कहना
जो मुझे हो जाए देर, लड़े द्योरानी-जिठानी रे || इकली घेरी —–
ग्वालिनी मैं समझाऊँ तुझे
दान तू दधि का दे जा मुझे
तभी ग्वालिन जाने दूँ तुझे
जो तू नहीं माने तो होगी ऐंचातानी रे || इकली घेरी —–
दान मैंने कभी नहीं दीना
रोक मेरा मारग क्यों लीना
बहुत सा ऊधम तुम कीन्हा
आज तलक इस ब्रज में ऐसा हुआ न सानी रे || इकली घेरी —–
ग्वालिनी बातें रही बनाय
ग्वाल-बालों को लूँ मैं बुलाय
तेरा सब दधि-माखन लुट जाय
इठला ले तू भले, चले-न तेरी मनमानी रे || इकली घेरी —–
कंस राजा से करूँ गुहार
बँधा के फिर लगवाऊँ मार
तेरी ठकुराई देऊँ निकार
जुल्मी फिर तू डरे, हरे ना नार बिरानी रे || इकली घेरी —–
कंस क्या बलम लगे तेरा
वो चूहा क्या कर ले मेरा
गर कभी उसको जा घेरा
कर दूँगा निर्वंश, मिटा दूँ नाम-निशानी रे || इकली घेरी —–
आ गए इतने में सब ग्वाल
पड़े नैनों में डोरे लाल
झूम के चले अदा की चाल
लुट गया माखन मारग में, घर गई खिसियानी रे || इकली घेरी —–
करें लीला जो राधेश्याम
कौन कर सके बखान तमाम
जाऊँ बलिहार धन्य ब्रजधाम
कहते सारे ग्वाल, नन्द का है सैलानी रे || इकली घेरी —–